Monday 19 March 2012

जिंदगी की टाइमलाइन

ऐसे वक्त में जब किसी के पास फुरसत नहीं है, फेसबुक टाइमलाइन के लिए थोड़ा वक्त निकालिए, जिंदगी की खूबसूरती ऑनलाइन हो जाएगी

यादें जिंदगी की सबसे बड़ी दौलत होती हैं। आज के हाइटेक समय में ये यादें ऑनलाइन हों और उन्हें आप सबसे शेयर कर सकें, तो कैसा हो? ऐसा हो चुका है। फेसबुक टाइमलाइन के जरिए आप थोड़ा क्रिएटिव होकर आसानी से ऐसा कर सकते हैं। टाइमलाइन, फेसबुक यूजर के प्रोफाइल और वॉल पेज को एक साथ जोड़कर दिखाती है। ये आपकी जिंदगी की कहानी कहती है। कहानी का सिलसिला उस तरह भी हो सकता है, जैसे फेसबुक ने नोट किया है और उस तरह भी जैसे आप दिखाना चाहते हैं।


दिसंबर 2010 में इसे फेसबुक मेमोरीज के नाम से लांच किया गया था। नए साल में इसे नए रूप में फेसबुक टाइमलाइन के जरिए पेश किया गया। टाइमलाइन इससे पहले किए गए फेसबुक के डिजाइनिंग अपडेट्स से काफी अलग है। कुछ लोग इस नए बदलाव से खुश हैं तो कुछ खीझ भी रहे हैं। ऐसे में ये देखना जरूरी हो जाता है कि ये टाइमलाइन आखिर कितनी खुशियां लेकर आई है और कितनी तकलीफ।

लाइमलाइट जैसी
हर कोई चाहता है लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचना यानी लाइमलाइट में आना। टाइमलाइन ऐसा ही एक मौका देती है। अपने जन्म से लेकर कॉलेज, करियर और शादी सब कुछ आप एक ऑनलाइन स्क्रैपबुक के रूप में टाइमलाइन की मदद से बना सकते हैं। तकनीक विशेषज्ञ बालेंदु शर्मा दधीच कहते हैं कि ‘टाइमलाइन आपकी जिंदगी की विजुअल हिस्ट्री की तरह है। इसमें आपके पास अपने बारे में जानकारी देने का एक बड़ा कैनवास है। ये काफी कुछ पर्सनल वेबसाइट जैसा ही है। इसमें आपके जन्म से लेकर अब तक के सारे इवेंट के बारे में फोटों के साथ सब कुछ दर्ज होगा। हालांकि सर्तक रहते हुए ज्यादा निजी सूचनाएं देने में कंजूसी बरतनी चाहिए’।


यादों का क्रिएटिव पिटारा
अभी तक जो आपने फेसबुक पर अपडेट किया वॉल पोस्ट, फोटो, टैग वो सब कुछ अब आपको बड़े रूप में दिखेगा। आप जितना ज्यादा नीचे स्क्रॉल करते जाएंगे, उतना ही अपनी पिछली जिंदगी में दाखिल होते जाएंगे। अगर कोई घटना छूट गई है तो उसे भी दर्ज कर सकते हैं। दिलचस्प ये है कि आप इसमें जितनी दिल खोलकर डिजाइनिंग करेंगे, उतना ही शानदार तरीके से पेश कर पाएंगे। एक ही पेज पर सारी जानकारी मिल जाती है, ये भी इसकी खास बात है।


कुछ अटपटी भी लगती है
इंटरनेट के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जीवन का पूरा ऑनलाइन विवरण शायद पहली बार देखा जा सकेगा। लेकिन जो लोग पुराने डिजाइन को पसंद करते हैं, उन्हें ये नयापन थोड़ा अटपटा लग सकता है। कई ऐसे टूलस हैं, जिनपर यूजर कोई एडिटिंग नहीं कर सकते। टैग की गई फोटो काफी बड़े आकार में दिखाई देती हैं, इन्हे स्टैंडर्ड फोटो ब्राउजर में भी देखा जा सकता है। ज्यादा हाई ग्राफिक्स, पेज पर ज्यादा कंटेट होने से असुविधा, स्क्रोल का ज्यादा उपयोग होने से लैपटॉप यूजर को परेशानी, ये इस एप की कुछ खामियां हैं। परेशानी से बचने के लिए भी आपके पास विकल्प है। आप चाहे तो फेसबुक टाइमलाइन को हटा सकते हैं। अलग अलग ब्राउजर के लिए कई तकनीकी वेबसाइटस पर इसे हटाने के तरीके और कोड के बारे में जानकारी दी गई है।


पसंद है, तो शुरू हो जाइए
अपनी पर्सनैलिटी को सूट करती हुई एक फोटो चुनिए। जो भी आपके पेज पर आएगा उसके लिए पहला इंप्रेशन आपका कवर फोटो ही होगा। फोटो चुनते समय ध्यान रखें कि आपका सबसे बढ़िया पोज कौन सा है। ये ध्यान रखें कि प्रोफाइल फोटो आपका ही होना चाहिए। कवर फोटो पर आप कुछ भी लगा सकते हैं। अक्सर लोग प्रोफाइल पिक्चर में कुछ भी लगा देते हैं। जैसे अपने पार्टनर का फोटो, पिकनिक पिक्चर या कुछ और। अब ये सारे ऑप्शन आप कवर फोटो पर आजमा सकते हैं। हालांकि क्रिएटिव प्रोफाइल पिक्चर से कोई समस्या नहीं है, लेकिन ये जरूरी है कि आपके दोस्त आपके प्रोफाइल से आपको पहचान पाएं।


टाइमलाइन कवर आपके बेस्ट लुक को सामने लाने का काफी बड़ा स्पेस देता है। मनचाहे तरीके से अपनी तसवीरों को कल्पना के रंग में डिजाइन कीजिए। कुछ वेबसाइटस जैसे माईएफबीकवरस और साइटकैनवास आपको क्रिएटिव कवर बनाने के टूल देती हैं। इससे इमेज तैयार करके भी आप कवर पेज को आकर्षक बना सकते हैं। जो लोग सिर्फ एक ही तसवीर नहीं चुन सकते उनके लिए साइट कैनवास कोलाज बनाने का विकल्प भी देती है।

Friday 16 March 2012

क्‍योंकि हर काम का एक वक्त होता है

गौतम बुद्व ने कहा था अतीत में मत जियो, न भविष्य के सपने बुनो, खुद को वर्तमान में जीने योग्य बनाओ। उनके कहने का तात्पर्य समय की महत्ता जानने का था। हमारा वर्तमान तभी सही रहेगा जब हम वर्तमान का संपूर्ण और बेहतर उपयोग कर सकेंगे। उसके लिए हमें कई बार 24 घंटों में ही 30 घ्‍ांटे के बराबर काम करना होता है। कैसे! यही है टाइम मैनेजमेंट, जो प्रोफेशनल्स के लिए ही नहीं हाउसवाइफ के लिए भी जरूरी है-

कामकाजी हैं तो...
अकसर महिलाएं बहाना करती हैं कि उनके पास समय ही नहीं बचता, खुद की केयर कैसे करें? बहाने कुछ भी हों, अगर इच्छाशक्ति हो, तो हर असंभव काम संभव हो जाता है। अगर आप सिस्टेमेटिक ढंग से अपने कार्यों की प्लानिंग करेंगी, तो खुद के लिए भी समय निकाल लेंगी।

निजी जिंदगी में
प्रतिदिन अपने कामों की आवश्‍यकता के अनुसार सूची बना लें और उस पर अमल करें। जो काम किसी वजह से छूट गए हों, उन्हें अगले दिन की सूची में सबसे ऊपर रखें। सुबह-सुबह भागदौड़ न हो, तो किचन की साफ-सफाई रात में ही सोने से पहले करें। लंच बॉक्स वगैरह रात में ही धो लें। बच्चों के ड्रेस, बैग आदि एक जगह रखें। अगर बच्चे थोड़े बड़े हैं, तो उनको इस काम के लिए प्रेरित कर सकती हैं। सुबह का मैन्यू रात में ही डिसाइड कर लें, ताकि व्यर्थ में सुबह का समय बर्बाद न हो। सप्ताह में एक दिन अपने वीकली सामानों की सूची बनाएं और जरूरत का सामान पहले से लाकर रखें।

ऑफिस में
घर के साथ-साथ ऑफिस के प्रति भी आपकी जिम्मेदारी है। यहां आपका प्रदर्शन और कार्यशैली देखी जाती है, इसलिए यहां भी हर काम को सिस्टेमेटिक ढंग से करें। पूरे दिन आपने क्या किया, इसकी लिस्ट हर दिन बनाकर रखें, ताकि जरूरत के वक्त आप अपने सीनियर्स को बता सकें। अपने काम के साथ सभी जरूरी कागजों और फाइलों को समेट कर रखें। आपको काम करने में आसानी होगी। जरूरी कागजों की विषय संबंधी फाइलें बनाएं, जिससे जरूरत पड़ने पर तुरंत कागज मिल सकें। अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार काम करें। आलस्य को अलविदा कहें।

घरेलू हैं तो!
पूरे दिन तो घर में ही रहना है, यह सोचकर अपने काम को पूरे दिन लटकाए रहना समझदारी नहीं है। क्या आप चाहती हैं कि आप अपने परिवार को ज्यादा समय दें, कुछ अपने लिए वक्त निकालें और अपने किसी शौक को पूरा करें। आपका जवाब हां है, तो बेशक आपको टाइम मैनेजमेंट की जरूरत है। आवश्‍यकता व टाइम के अनुसार अपने कामों की प्‍लानिंग करें। अपने हर काम को समय पर निबटाने की आदत डालें। किचन के काम को कैसे आसान बना सकती हैं, इस पर गौर करें।
-इधर-उधर पड़ी चीजों को उसी समय सही जगह रखें या रखवाएं। घर के सारे काम स्वयं नहीं करें, थोड़ी जिम्मेदारी अन्य सदस्यों पर भी डालें। इससे आपका काम आसान होगा। काम को कभी कल पर न टालें। हो सकता है, कल कोई और काम आ जाए। इसलिए जो काम आज करना है, उसे हर हाल में पूरा करें।
-खुद पर ध्यान दें। मामला फिटनेस का हो या सौंदर्य का। इसमें कोई कोताही न बरतें, इससे आपका आत्‍मविश्वास बढ़ता है।
-आपकी हर जरूरत का इलाज कंप्यूटर के पास है। इससे जो चाहें वह जानकारी मिनटों में लें। बिल जमा करना हो या शॉपिंग ऑनलाइन सुविधा का इस्तेमाल कर सकती हैं।

Wednesday 14 March 2012

हंसते-हंसते कटे रस्ते

शायद ही आज के समय में कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसके पास मोबाइल न हो। वाई-फाई की सुविधा और थ्री जी नेटवर्किंग का जादू इस कदर हवाओं में है कि छुट्टियों में भी बिना फोन के नहीं रहा जा सकता। अब जब फोन आपका सच्चा साथी बन ही गया है तो क्यूं न इसका पूरा लाभ लिया जाए। कुछ खास एप्स को डाउनलोड कर आप अपने ट्रेवल प्लान को टेंशन फ्री बना सकते हैं।
कायक मोबाइल एप - ट्रिप पर आपका साथ निभाने के लिए कायक काफी जाना-माना एप है। फ्लाइट ढूंढनी हो, ऑनलाइन बुकिंग या फिर होटल बुक करना, ये एप्लीकेशन आपके सारे काम करता है।


स्टे हिप- अगर बुटिक होटल आपका स्टाइल है तो फ्री स्टे हिप डाउनलोड कीजिए। ये आपको देता है 45 देशों के 170 शहरों में स्थित होटल की लिस्ट। आईफोन, आईपॉड और गूगल एंड्रायड पर ये एप उपलब्ध है।


आरबिट्ज- आईफोन, आईपेड ब्लैकबेरी और एंड्रायड के लिए एक दूसरा ट्रेवल प्लानर एप है ऑरबीट्ज। जीपीएस की मदद से ये भी फ्लाइट और नजदीकी होटल के बारे में आपको सारी जानकारी देता है।


अंब्रेला टुडे आईफोन एप- अब कहीं जा रहे हैं तो वहां के मौसम का मिजाज भी तो पता होना जरूरी है ना। अंब्रेला टूडे देता है आपको दुनिया भर के मौसम की जानकारी।


गूगल ट्रांसलेट- ये उस वक्त काफी मददगार है जब आप भाषा की मजबूरी की वजह से किसी से बात ही न कर पाएं। गूगल ट्रांसलेट दूर-दराज के क्षेत्रों में आपकी सैर के दौरान मुश्किल शब्दों को 60 से ज्यादा भाषाओं में अनुवाद करता है।


मिंट- घर से बाहर निकलते ही खर्च को काबू करना बड़ा मुश्किल हो जाता है। िमंट इसी मुश्किल काम में आपकी मदद करता है। ये फाइनेंस एप आईफोन, एंड्रायड और टेबलेट पर मौजूद है जो आपके पर्सनल बजट को मैनज करता है। यात्रा के दौरान इसे साथ रखना फालतू खर्च से बचने के लिए बहुत जरूरी है।


ट्रिपलेट: इस एप को आप अपना ट्रेवल मैनेजर कह सकते हैं। ट्रिपलेट आपके सारे ट्रेवल डॉक्यूमेंट को व्यवस्थित करता है। फ्लाइट टिकट, होटल वाउचर से लेकर जरूरी ईमेल को क्रम से लगाता है। खास बात ये भी है कि चाहे आईफोन हो, आईपेड, एंड्रायड, ब्लैकबेरी या विंडोज 7, ट्रिपलेट सभी डिवाइसेज के साथ काम करता है।


इसके अलावा स्काइप, ग्लिंपस, वेज और मेकमाई ट्रिप जैसे एप्स की मदद से भी आप अपने सफर को सुहाना और सरल बना सकते हैं।

 

सुंदर सपनों का घ्‍ार

घर यानी चार दीवारों के अंदर एक परिवार और उसका वातावरण। खुशहाली के लिए इस माहौल को ऐसे सजाइए कि हर जरूरत पूरी हो आैर घर भी नया लगे


हर किसी का सपना होता है सुंदर घर। मगर इस सपने को पूरा करने के लिए आपको घर के इंटीरियर पर भी खास गौर करना पड़ेगा। तभी आप अपने सपने को हकीकत में बदल सकती हैं।

स्पेस प्लानिंग
घर को कोजी बनाने के लिए सही स्पेस प्लानिंग और डिजाइनिंग बहुत जरूरी है। इसलिए घर का इंटीरियर डिजाइन करते समय घर का ब्लूप्रिंट साथ रखें, जिससे रंग, फर्नीचर और फर्निशिंग को सीमित बजट में एक थीम में सजाया जा सके। फर्नीचर हो या अन्य डेकोरेशन की चीजें, सेलेक्‍शन करते समय घर का साइज और अपनी जरूरत को जरूर ध्यान में रखें। इंटीरियर में सीलिंग आैर फ्लोरिंग पर जरूर ध्यान दें। इससे भी घर के लुक को काफी हद तक बदला जा सकता है। आजकल लोग वास्तु का भी खास ध्यान रखने लगे हैं। आजकल यह घर में पॉजिटिविटी के लिए अपनाया जा रहा है।

मल्टीफंक्शनल फर्नीचर लगाएं
अकसर कुछ लोग स्पेस को लेकर परेशान रहते हैं। उनकी यही शिकायत होती है कि छोटे से घर को मन मुताबिक सजाने के लिए स्पेस ही नहीं बचा। ऐसे लोगों को मल्टीफंक्शनल फर्नीचर इस्तेमाल करना चाहिए। सोफा कम बेड, सेंटर टेबल विथ बेड, इस तरह के फर्नीचर खूब मिल रहे हैं। अपने लिविंग रूम में इस तरह के फर्नीचर लगा सकती हैं। चाहे वो बेड हो, सोफा हो, कुर्सी हो या कोई भी सिटिंग अरेंजमेंट। फर्नीचर नीचा और चौड़ाई में फैला होना चाहिए। इससे घर स्पेशियस लगता है। स्टोरेज के लिए बॉक्स वाले बेड को प्राथमिकता दें। इसमें एक्‍स्‍ट्रा सामान आसानी से फिट हो जाएगा। यानी मल्टीफंक्शनल फर्नीचर का चुनाव आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

फर्निशिंग
अब बात करते हैं फर्निशिंग की। इससे भी घर के लुक को काफी हद तक बदला जा सकता है। प्लेन पेंट करवाकर वॉलपेपर से दीवारों को सजाया जा सकता है। वर्तमान में वॉलपेपर्स का ट्रेंड भी है। आप चाहें तो मेटलिक कलर्स या अलग-अलग डिजाइन वाले वॉलपेपर का इस्तेमाल घर में करवा सकती हैं। मगर वॉलपेपर ऐसा चुनें, जिसमें बारीक काम ना हो। इसी तरह वुडेन फ्लोरिंग से घ्‍ार को आरामदायक बना सकती हैं।

रंगों का चुनाव
घर की खूबसूरती को बढ़ाने में रंगों की भूमिका काफी अहम है और यह आपकी कल्पनाओं से लेकर घर की स्पेस तक को हाईलाइट करने में सक्षम हैं। इसलिए रंगों का चुनाव सोच-समझकर करें। छोटे घर में जगह की कमी होती है, इसलिए घर की डिजाइनिंग में रंगों का चुनाव सावधानी से करें।

घर में रंगों का सही इस्तेमाल करने के लिए फर्नीचर और दीवार के रंगों के तालमेल पर ध्यान दें। इन दिनों इंग्लिश कलर का फैशन है। यानी सारे ब्राइट कलर्स को हल्का लाइट किया गया है, जो देखने में बहुत ही आकर्षक लगते हैं। जैसे ऑफ व्हाइट, एक्वा ग्रीन, फ्यूशिया, नीला आदि।


परदों का चयन
वैसे आजकल ब्लाइंड्स का फैशन है। अगर आपका बजट एलाउ कर रहा है, तो ब्‍लाइंड्स से खिड़कियों की शोभ्‍ाा बढ़ा सकती हैं। इसमें ज्‍यादा खर्च भी नहीं होता।

अगर घर के लिए परदा ले रही हैं, तो रंग का सेलेक्‍शन अपने रूम की दीवारों के रंग को ध्यान में रख्‍ाकर करें। याद रखें परदे का रंग दीवारों के रंग से विपरीत हो, इससे आपकी साज-सजावट की चीजें हाइलाइट होती हैं। हैवी परदों का फैश्‍ान जा चुका है, अब लाइट फैब्रिक वाले परदे फैशन में हैं। इनमें भी ब्राइट रंग चलन में हैं।

लाइटिंग व साज-सज्‍जा
घर का माहौल बदलने के लिए लाइटिंग जरूरी होती है। आजकल सिंगल लाइटिंग का फैशन है। जैसे शाइनी ब्रॉस, व्‍हाइट लाइटिंग। इसके अलावा आप वॉल म्यूरल्स या क्राफ्ट का बना हुआ लैंप भी बेडरूम में रख सकती हैं।

टेबल आदि को डेकाेरेट करना हो, तो आप उसके सेंटर में शाइनिंग मार्बल्स, बोनसाई का पेड़ या सिरेमिक बाउल रख सकती हैं। इसके अलावा आर्टिफिशयल फ्लावर पॉट भ्‍ाी टेबल पर रख्‍ाा जा सकता है।

कमरे के कॉर्नर में फूलदान या कलाकृतियां रख सकती हैं। दीवारों पर एक ही साइज की सीनरी लगाएं।

नई पीढ़ी का गुस्सा

आजकल बच्चे अक्सर कहते हैं ‘मैं कुछ भी करुं, आपको मतलब’। ‘मां प्लीज आप मेरे मामलों में दखल मत दो’। अभिभावकों का लहजा होता है ‘आजकल तुम कोई बात नहीं सुनते, जब पापा पिटाई करेंगे तभी सुधरोगे’। ‘जो बात मना करो तुम वही करती हो, ज्यादा बिगड़ने की जरूरत नहीं है’। ये दोनों पक्ष सीधे तौर पर सवाल भी हैं और जवाब भी।


नए शोध के अनुसार जो अभिभावक अपने बच्चों को अनुशासन में नहीं ढाल पाते वो एक गुस्सैल पीढ़ी तैयार कर रहे हैं। वो लोग ज्यादा गुस्सैल और अशांत होते हैं जिनके अभिभावक हिंसक स्वभाव के होते हैं। इसके उलट वो बच्चे अच्छा व्यवहार करते हैं जिनके अभिभावक सहज और सरल व्यक्तित्व वाले होते हैं। शोध के लिए 300 परिवारों को शामिल किया गया। इसमें चार से सात साल के बच्चों और उनके अभिभावकों के व्यवहार का अध्ययन किया गया है।

नेशनल एकेडमी फॉर पेरेंटिंग रिसर्च के डायरेक्टर और प्रमुख शोधकर्ता स्टीफन स्कॉट कहते हैं कि ‘ बच्चों के साथ सख्त व्यवहार और हर बात पर रोक-टोक करने जैसे नकारात्मक पालन-पोषण से बच्चों में गैर सामाजिक व्यवहार जन्म लेता है’। अध्ययन के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि कुछ मध्यवर्गीय अभिभावक बच्चों की ख्वाहिशों को पूरा करने में तो कोई कसर नहीं छोड़ते, लेकिन उनके साथ वक्त नहीं बिताते। बच्चों की परवरिश में लापरवाही भी उनके बुरे व्यवहार का कारण बन जाती है।


शोधकर्ताओं के अनुसार बच्चों के साथ बुरे व्यवहार का कारण बच्चों के खराब स्वभाव को बताना बिल्कुल गलत है। लापरवाह परवरिश की संगत से सिर्फ बच्चों का व्यवहार ही खराब नहीं होता बल्कि वो बुरी आदतों में भी पड़ जाते हैं। रिसर्च टीम की रिपोर्ट के अनुसार कम शिक्षा और आय वाली माताओं में नकारात्मक परवरिश की संभावना ज्यादा होती है।

बच्चों की जिंदगी सुधारने के लिए अच्छी परवरिश पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। चाइल्ड लिटरेसी एक्सपर्ट सू पाल्मर अपनी किताब ‘टॉक्सिक चाइल्डहुड‘ में लिखती हैं कि ‘आज के समय में बच्चे अधिकतर समय टीवी देखते हुए और अपनी इलेक्ट्रानिक दुनिया में बिताते हैं। ये वहीं समय है जिसमें कुछ साल पहले तक मां-पापा बच्चे को कहानियां सुनाते थे, उससे बातें करते थे और उसके साथ खेलते थे’। आज की व्यस्त और तकनीकी दुनिया में बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए जरूरी है उनके साथ अच्छा समय बिताना।

kya

हम नाम थे शायद कि हमें
                                     महज अल्फाज समझा
 ना समझा मेरा फसाना
                                      महज उसे एक अंदाज  समझा
बेगानों मे तो बेगाना था ही  मे
                                                 अपनो ने भी मझे ना खास समझा
एक फेसला समझा मझे 
                                  ना मझे हमराज समझा 
एक सुखा सा दरखत समझा शियाज
                                    ना किसी ने आशियाज समझा 
ना समझा MUJHE एक सुखनवर 
                                                  महज एक खामियास समझा
मेरे JAKHM का दर्द ना समझा कोई 
                                                     महज उसे एक    म सज समझा 
ना समझा मुझे माँनजिल 
                                       महज एक दरवाज समझा 
ना समझा मझे दीवान 
                                महज एक  दरवाज समझा 
मझे जलाकर   कहाँ बच पाये तुम भी 
                                                     तुम्हे भी तो पिघला हुआ मोम समझा
अगर मुझे एक RAKH  समझा
                                                                

Tuesday 13 March 2012

तसवीरें बोलती हैं!

एक तसवीर हजार शब्दों की कहानी कहती है। लैंडस्केप तसवीरें खींचने वाले फोटोग्राफर रॉबर्ट फुलटॉन की तसवीरें कुछ ऐसा ही कहती हैं।

ब्रिटेन के हजारों लैंडस्केप तसवीरों में से चुनी गई रॉबर्ट की इस तसवीर को सर्वश्रेष्ठ फोटोग्राफी का पुरस्कार मिला है। रॉबर्ट प्रॉकृतिक तसवीरें खींचने के लिए जाने जाते हैं।

उत्तरी लंआर्कशायर के कंबरनॉल्ड के रहने वाले रॉबर्ट को इस तसवीर के लिए 10,000 पाउंड राशि दी गई है।